नवी मोहर्रम को निकला जुलूस, किया आग का मातम

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मऊ। पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत के गम में निकलने वाले नवी मोहर्रम का जुलूस सकुशल सम्पन्न हुआ. अंजुमन बाबुल इल्म जाफरिया के मिमरान ने नौहखवानी पेश की जिसके बाद आग का मातम हुआ। जिसके बाद सोमवार रात जुलूस मलिक टोला इमामबाड़ा से ताजिए का जुलूस निकला।

इस जुलूस की मान्यता है कि नौ मोहर्रम का सूरज ढल गया है और शबे आशूर आ गई है. यह वह रात है, जिसमें इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने दुश्मन से एक रात की इजाजत ली थी कि हम अपने परवर दिगार की इबादत कर लें।

इस रात इमाम हुसैन ने अपने साथियों से कहा कि तुम चले जाओ. कल आले मोहम्मद कि कुरबानी का दिन है और दुश्मन तुम लोगों से कुछ नहीं कहेंगे. मगर कर्बला के वफादार साथी रोने लगे और कहने लगे कि कल हम आपसे पहले अपनी जान देंगे. मगर आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। जिसके बाद दस मोहर्रम के दिन यजीद ने अपनी फौज के साथ इमाम हुसैन और उनके साथियों पर हमला बोल दिया और कर्बला के 72 साथी शहीद हो गए।
इसी शहादत को याद करते हुए अंजुमन बाबुल इल्म जाफरिया के मिमरानो ने नौहख्वानी व सिनाजनी पेश की।
जुलूस मलिक टोला इमामबाड़ा से होकर अपने सदर चौक से होते हुए भेली बाजार होते हुए संस्कृत पाठशाला से शाही कटरा जाकर समाप्त हुआ।
जिसमे मुख्य रूप से सेक्रेटरी मंसूर आजम, वसीम, परवेज, मासूम, शुजात अली, मौलाना शोएब रिजवी, तामीर, संजू, रेहान, आमान, आयान, फैजी, मिजान, आसिफ रिजवी आदि लोग मौजूद रहे।